तमन्ना फिर मचल जाए, अगर तुम मिलने आ जाओ यह मौसम ही बदल जाए, अगर तुम मिलने आ जाओ मुझे गम है कि मैने जिन्दगी में कुछ नहीं पाया ये ग़म दिल से निकल जाए, अगर तुम मिलने आ जाओ नहीं मिलते हो मुझसे तुम तो सब हमदर्द हैं मेरे ज़माना मुझसे जल जाए, अगर तुम मिलने आ जाओ ये दुनिया भर के झगड़े, घर के किस्से, काम की बातें बला हर एक टल जाए, अगर तुम मिलने आ जाओ
दिल अभी पुरी तरह से टूटा नहीं है
दिल अभी पुरी तरह से टूटा नहीं है
उसे कहदो उसकी और भी मेहरबानी चाहिए
उसने जो ग़म दिए है उनका शुक्रिया
अरे प्यार में कुछ तो निशानी चाहिए
खामोशी से रहना वर्दाश्त नहीं मुझे
खामोशी से रहना वर्दाश्त नहीं मुझे
मरूंगा तो भी सन्नाटा तोड़ जाऊंगा ,
शीशा हूँ टूटूंगा तो बिखरूंगा
जीता हूँ हनक के साथ,
टूटूंगा खनक के साथ
खनक के साथ खामियाजा छोड़ जाऊंगा"
अपने गमो की युं नुमाईश ना कर..
अपने गमो की युं नुमाईश ना कर..
अपने नसीब की युं आझमाईश ना कर..
जो तेरा है तो तेरे दर पे खुद ही आयेगा..
रोज रोज उसे पाने की कोशीश ना कर.
दर्द की बाज़ार खुली परी हैं !
दर्द की बाज़ार खुली परी हैं !
वो चीज न लो जो अंदर से जली परी हैं !!
वफ़ा का तलाश छोर दो एय दोस्तों....!
ये दुनियाँ बेवफाओ से भरी परी हैं !
कौन किसको दिल में जगह देता है
कौन किसको दिल में जगह देता है,
पेड़ भी सूखे पत्ते गिरा देता है..
वाकिफ़ हैं हम दुनियाँ के रिवाज़ से,
साँस रुक जाए तो कोई अपना ही जला देता है.
लगन लगी जब से तेरी मन को
लगन लगी जब से तेरी मन को,
ना भूख,ना प्यास लगे मेरे तन को,
प्यासी है नैना तेरी दरश जो पाये,
मेरा प्रियतम कभी नजर तो आये।
कुछ इस तरह मशरूफ रहते हैं
कुछ इस तरह मशरूफ रहते हैं, तेरे ख्वाबों में अब,
कि तनहा होकर भी, खालीपन का एहसास नहीं आता .
साफ़ नज़र आता है, सादी दीवारों पर चेहरा तेरा ,
तस्वीर सजाकर उसे धुंधला करना, अब रास नहीं आता
तुम्हारे हर राज की हमराज बन जाना चाहती हूँ ,
तुम्हारे हर राज की हमराज बन जाना चाहती हूँ ,
तुम्हारी आँखो के ख्याब बन जाना चाहती हूँ मै,
तुम्हारे कदमो की आहट बन जाना चाहती हूँ मै,
तुम्हारे दिल का हर अहसास हो जाना चाहती हूँ मै,
तुम्हारे मन का विश्वास बन जाना चाहती हूँ...!
इस कदर हम यार को मनाने निकले!
इस कदर हम यार को मनाने निकले!
उसकी चाहत के हम दिवाने निकले!
जब भी उसे दिल का हाल बताना चाहा!
उसके होठों से वक़्त न होने के बहाने निकले
अंगड़ाई पर अंगड़ाई लेती है रात जुदाई की
अंगड़ाई पर अंगड़ाई लेती है रात जुदाई की
तुम क्या समझो तुम क्या जानो बात मेरी तन्हाई की
कौन सियाही घोल रहा था वक़्त के बहते दरिया में
मैंने आँख झुकी देखी है आज किसी हरजाई की
वस्ल की रात न जाने क्यूँ इसरार था उनको जाने पर
वक़्त से पहले डूब गए तारों ने बड़ी दानाई की
उड़ते-उड़ते आस का पंछी दूर उफ़क़ में डूब गया
रोते-रोते बैठ गई आवाज़ किसी सौदाई की...
गम ही गम मिला है सुबह शाम मुझे यारो
गम ही गम मिला है सुबह शाम मुझे यारो...
उनकी यादों मे सोए है सुबह शाम यारो...
ये जिंदगी अगर घुट के ही कटनी है अगर यारों...
तो इस बेजान जिंदगी को सलाम यारों...
जागते है हम तन्हा रातों मे...
जागते है हम तन्हा रातों मे...
खोता है दिल उनकी बातों मे...
मिली नही दिल की मंज़िल आज तक...
क्यूंकी दर्द ही दर्द लिखा है इन हाथों मे...
दर्द की किताब है मेरी जिंदगी.
मेरा नसीब मुझसे खफा हो जाता है...
मेरा नसीब मुझसे खफा हो जाता है...
अपना जिसे मानु वो बेवफा हो जाता है...
शिकायत मुझे हमेशा रात से है...
ख्वाब पूरा होता नही की सवेरा हो जाता है..
दिल मे आता है जब ख़याल उनका
दिल मे आता है जब ख़याल उनका...
तस्वीर से पूछते है फिर हाल उनका...
वो कभी हमसे पूछा करते थे जुदाई क्या है...
आज समझ मे आया सवाल उनका
हुत तमन्ना थी, प्यार में आशियाना बनाने की
हुत तमन्ना थी, प्यार में आशियाना बनाने की बना चुके तो लग गयी नजर ज़माने की उसी का क़र्ज़ हैं जो आज हैं आँखों में आंशू सजा मिली हैं हमें मुस्कुराने की .
अपना भी घर भूल गए
याद नहीं क्या क्या देखना था सारे मंज़र भूल गए उसकी गलियों से जब लौटे अपना भी घर भूल गए
चाँद पर दाग हैं
चाँद पर दाग हैं सबने कहा चाँद पर दाग हैं मैं नही माना इक तन्हा रात को मैं उससे पूछ बैठा की "ऐ चाँद क्या तुझ पर दाग हैं" वो बोला ये दाग नही माँ का टिका हैं जो मुझे दुनिया की नज़र से बचाता हैं ,,, इंसान ईस बात को समझना नही चाहता उसे तो कमी निकालने की लत पड़ गयी हैं ,,, मैं चुपचाप बैठा उसकी बाते सुन रहा था ,, वो बोला क्या हुआ तुम इतने चुप क्यूँ हो गए नज़रे झुकाकर मैं बोला "मैं भी इक इंसान हूँ"
एक रात हुई बरसात बहुत
एक रात हुई बरसात बहुत मैं रोया सारी रात बहुत हर गम था जमाने का लेकिन मैं तनहा था उस रात बहुत फिर आंख से ईक सावन बरसा जब सहर हुई तो ख्याल आया वो बादल कितना तनहा था जो बरसा सारी रात बहुत
रही न साँस में ख़ुशबू
रही न साँस में ख़ुशबू तो भाग फूट गए गया शबाब तो अपने पराए छूट गए कोई तो छोड़ गए कोई मुझको लूट गए महल गिरे सो गिरे, झोंपडे भी टूट गए